सत्य, न्याय अपनाइए, देख तराजू तोल। सही-ग़लत को देखिए, अच्छाई अनमोल।। सत्य, न्याय अपनाइए, देख तराजू तोल। सही-ग़लत को देखिए, अच्छाई अनमोल।।
जिस घर में भी संस्कारों की परिभाषाएँ जिंदा हैं, जिस घर में भी संस्कारों की परिभाषाएँ जिंदा हैं,
तनया आई महकता आँगन घर बहार। तनया आई महकता आँगन घर बहार।
मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं ! मंथन में रातें और उम्मीदों में दिन गुजरते हैं !
जा मिलती सागर मैं पल में विशाल असीम बन जाती। जा मिलती सागर मैं पल में विशाल असीम बन जाती।
दुनिया की हर बुराई को लेकर पानी रहता सदा ही निर्मल है। दुनिया की हर बुराई को लेकर पानी रहता सदा ही निर्मल है।